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- सिस्टर इहे-इन एक कवयित्री हैं जिन्होंने 1970 में समकालीन कविता श्रेणी में पदार्पण किया और अपने दैनिक जीवन और प्रकृति को विषय बनाकर भावुक कविताएँ लिखीं।
- जब खुशी और दुख को तराजू में रखा जाए, तो खुशी 51% और दुख 49% हो, तो खुशी भारी हो जाती है, इसी तरह हमारे जीवन में सिर्फ़ 1% अधिक होने पर हम खुश हो जाते हैं, यह संदेश वे देती हैं।
- उनके प्रमुख कविता संग्रह "डैंडेलियन का क्षेत्र", "मेरी आत्मा में आग लगा दो", "आज मैं आधा चाँद बनकर घूमूँगा" आदि हैं।
सिस्टर इहे-इन
ईहाईन
ईहाईन (李海仁, 1945 ~ )
नन। कवि। 1970 में मासिक पत्रिका "सोयेन" में बाल कविता (童詩) वर्ग में सिफारिश द्वारा पदार्पण किया। उन्होंने मुख्यतः रोज़मर्रा के जीवन और प्रकृति आदि को विषय वस्तु बनाकर भावनात्मक कृतियाँ लिखीं। कविता संग्रहों में "मिंदले का राज्य" (1976), "मेरी आत्मा में आग लगा दो" (1979), "आज मैं अर्धचंद्र बनकर चमकूँगा" (1983) आदि हैं।
जब तराजू में खुशी और दुख को तौला जाता है, तो अगर खुशी और दुख बराबर होते हैं तो तराजू नहीं हिलता, लेकिन अगर खुशी 51% और दुख 49% हो तो तराजू खुशी की तरफ झुक जाता है।
खुशी की शर्तों के लिए इतने सारे होने की आवश्यकता नहीं है। हमारे जीवन में केवल 1% और होने पर ही खुशी हो जाती है।